प्रोजेक्ट - 2
कक्षा - 9, विषय - विज्ञान
उद्देश्य: विभिन्न वाद्य यंत्रों की सूची बनाकर दर्शाइए कि उन वाद्य यंत्रों के कौन से भाग में कंपन उत्पन्न होता है।
आवश्यक सामग्री: विभिन्न वाद्य यंत्रों के इंटरनेट अथवा अखबार आदि से प्राप्त चित्र, चित्रों को चिपकाने के लिए गोंद व सफेद मोटी कागज की शीट, मार्कर पेन, कैंची इत्यादि।
सिद्धांत: ध्वनि तभी उत्पन्न होती है, जब ध्वनि-स्रोत कंपन अवस्था में होता है तथा यह तरंगों के रूप में वायु में फैलती है। वायु में फैल कर श्रोता के कानों तक पहुंचती है, जिससे कान के पर्दे में स्पंदन होते हैं और हमें ध्वनि का अनुभव होता है। सभी वाद्य यंत्र इसी सिद्धांत पर कार्य करते हैं। विभिन्न वाद्य यंत्रों में तने हुए तार अथवा तनी हुई खाल की परत अथवा झिल्ली कंपन करती है। यह कंपन एक नियमित क्रम में अनुदैर्ध्य ध्वनि तरंगों के रूप में होता है।
कार्य विधि:
(i) इंटरनेट आदि से वाद्य यंत्रों की आकृतियांँ प्राप्त करें।
(ii) वाद्य यंत्रों की सूची, सफेद कागज पर काटकर चिपकाइए तथा बताइए कि उनके किस भाग में ध्वनि उत्पन्न होती है।
वाद्य यंत्र - ड्रम (Drum)
कंपन उत्पन्न करने वाला भाग - तनी हुई खाल की झिल्ली
वाद्य यंत्र - गिटार (Guitar)
कंपन उत्पन्न करने वाला भाग - तना हुआ तार
वाद्य यंत्र - माराकास (Maracas)
कंपन उत्पन्न करने वाला भाग - खोखले भाग में अप्रगामी तरंगें
वाद्य यंत्र - तम्बूरी (Tambourine)
कंपन उत्पन्न करने वाला भाग - तनी हुई खाल की झिल्ली
वाद्य यंत्र - ट्रमपेट (Trumpet)
कंपन उत्पन्न करने वाला भाग - मुंह से उत्पन्न ध्वनि कंपनों में अध्यारोपण
वाद्य यंत्र - यूपोनियम (Euphonium)
कंपन उत्पन्न करने वाला भाग - मुंह से उत्पन्न वायु की तरंगों में अध्यारोपण
वाद्य यंत्र - बांसुरी (Flute)
कंपन उत्पन्न करने वाला भाग - मुंह से उत्पन्न ध्वनि तरंगों में अध्यारोपण
वाद्य यंत्र - हार्प (Harp)
कंपन उत्पन्न करने वाला भाग - तने हुए तार
वाद्य यंत्र - शहनाई (Clarinet)
कंपन उत्पन्न करने वाला भाग - मुंह से उत्पन्न ध्वनि तरंगों में अध्यारोपण
वाद्य यंत्र - टुबा (Tubas)
कंपन उत्पन्न करने वाला भाग - मुंह से उत्पन्न ध्वनि तरंगों में अध्यारोपण
परिणाम: इस प्रोजेक्ट से यह ज्ञात होता है कि अधिकांश वाद्य यंत्रों में तने हुए तार में उत्पन्न कम्पनों में ध्वनि उत्पन्न होती है। तबला, ड्रम इत्यादि में तनी हुई झिल्ली में उत्पन्न कम्पनों से ध्वनि उत्पन्न होती है। बांसुरी, शहनाई इत्यादि वाद्य यंत्रों में मुंह से उत्पन्न ध्वनि परावर्तन द्वारा अध्यारोपित होकर विभिन्न प्रकार के स्वर उत्पन्न करती हैं। अर्थात कंपन की अनुपस्थिति में ध्वनि उत्पन्न करना संभव नहीं है।
त्रुटियों के स्रोत:
(i) सभी वाद्य यंत्र अच्छी तरह से साफ रखने चाहिए।
(ii) वाद्य यंत्र इस प्रकार के स्थान में होने चाहिए जहां धूल मिट्टी के कण कम से कम पहुंचते हों।
(iii) वाद्य यंत्रों के तार आपेक्षित रूप से तने होने चाहिए अन्यथा आपेक्षित ध्वनि प्राप्त नहीं होगी।
सावधानियां:
(i) वाद्य यंत्रों का उपयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
(ii) जब इनको उपयोग में नहीं ले रहे हों तो इनको कवर अथवा किसी अच्छे कपड़े से ढक कर रखना चाहिए।
(iii) अनावश्यक रूप से इनके बटनों को नहीं दबाना चाहिए।
(iv) तबले इत्यादि की डोरी कैसी होनी चाहिए।